श्री बाल कृष्ण |
सनातन हिन्दू धर्म में महाभारत युद्ध के समय पांडव पुत्र अर्जुन को भगवत गीता का उपदेश देनेवाले भगवान् श्री कृष्णजी को कन्हैया, गोपाल, केशव, श्याम, द्वारकेश और वासुदेव आदि नामों से जाना जाता है। भगवान् कृष्ण को पुराणों में निष्काम कर्मयोगी, आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी सम्पदाओं से सुसज्जित महान पुरुष दर्शाया गया है।
श्री कृष्णजी भगवान् विष्णुजी के ८ वे अवतार माने जाते है। श्री कृष्णजी वसुदेव और देवकी की ८ वीं संतान थे। श्री कृष्णजी का भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्म हुआ था।
श्री कृष्णजी ने अपने १२४ वर्षों के जीवनकाल में कई लीलाएँ की जिसमे गोचारण लीला, गोवर्धनलीला मुख्य रूप है। उन्होंने ही राक्षसी पूतना, शकटासुर,तृणावर्त आदि राक्षसों का वध किया है।
कृष्ण चालीसा पाठ कैसे करें : -
- कृष्ण चालीसा का पाठ प्रातः काल करना चाहिए।
- स्नानादि के पश्चात, एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उसपर भगवान् कृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- प्रतिमा या तस्वीर के समक्ष धूप - दीप तथा अगरबत्ती जलानी चाहिए।
- इसके पश्चात संकल्प करें कि पूरी श्रद्धा के साथ आप भगवान् कृष्णजी की पूजा करेंगे।
- इसके बाद भगवान् कृष्ण को गंगा जल और पंचामृत से स्नान करवाएँ।
- स्नान करवाने के पश्चात, पूर्ण श्रद्धा के साथ चालीसा का पाठ आरम्भ करें।
- चालीसा पाठ के पश्चात भगवान् कृष्णजी को माखन और मिश्रि का भोग लगाकर उस प्रसाद को परिवार के सदस्यों में बांटे।
।। श्री कृष्ण चालीसा।।
बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम।
अरुण अधर जनु बिम्बा फल, पिताम्बर शुभ साज।।
जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज।।
।।चौपाई।।
जय यदुनन्दन जय जगवन्दन। जय वसुदेव देवकी नंदन ।।
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे। जय प्रभु भक्तन के दृग तारे ।।
जय नट -नागर नाग नथैया। कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया ।।
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो। आओ दीनन कष्ट निवारो ।।
वंशी मधुर अधर धरी तेरी। होवे पूर्ण मनोरथ मेरो ।।
आओ हरी पुनि माखन चाखो। आज लाज भारत की राखो ।।
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे। मृदु मुस्कान मोहिनी डारे ।।
रंजीत राजीव नयन विशाला। मोर मुकुट वैजयंती माला ।।
कुण्डल श्रवण पीतपट आछे। कटी किंकणी काछन काछे ।।
नील जलज सुन्दर तनु सोहे। छवि लाखे, सुर नर मुनिमन मोहे ।।
मस्तक तिलक, अलक घुंघराले। आओ कृष्ण बांसूरीवाले ।।
करि पय पान, पुतनहि तारयो। अका बका कागासुर मारयो ।।
मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला। भै शीतल, लाखतहिं नंदलाला ।।
सुरपति जब ब्रज चढयो बहायो। गोवर्धन नखधारि बचायो ।।
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई। मुख महं चौदह भुवन दिखाई ।।
दुष्ट कंस अति उधम मचायो। कोटि कमल जब फूल मंगायो ।।
नाथी कालियहिं तब तुम लीन्हे। चरणचिन्ह दै निर्भय कीन्हे ।।
कारे गोपिन संग रास विलासा। सबकी पुरण करि अभिलाषा ।।
केतिक महाअसुर संहारयो। कंसहि केस पकड़ी दै मारयो ।।
मात -पिता की बन्दी छुड़ाई। उग्रसेन कहं राज दिलाई ।।
महि से मृतक छहों सूत लायो। मातु देवकी शोक मिटायो ।।
भौमासुर मुर दैत्य संहारी। लाये षट दश सहसकुमारी ।।
दै भिन्हीं तृण चिर सहारा। जरासिंधु राक्षस कंह मारा ।।
असुर बकासुर आदिक मारयो। भक्ततन के तब कष्ट निवारियो ।।
दिन सुदामा के दुःख टारयो। तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो ।।
प्रेम के साग विदुर घर मांगे। दुर्योधन के मेवा त्यागे ।।
लखि प्रेम की महिमा भारी। ऐसे श्याम दीन हितकारी ।।
भारत के पारथ रथ हांके। लिए चक्र कर नहि बल ताके ।।
निज गीता के ज्ञान सुनाये। भक्तन ह्रदय सुधा वर्षायें ।।
मीरा थी ऐसी मतवाली। विष पी गई बजाकर ताली ।।
राना भेजा सांप पिटारी। शालिग्राम बने बनवारी ।।
निज माया तुम विधिहि दिखायो। उर ते संशय सकल मिटायो ।।
तब शाट निन्दा करि तत्काला। जीवन मुक्त भयो शिशुपाला ।।
जबहि द्रौपदी देर लगाई। दीनानाथ लाज अब जाई ।।
तुरतहि वसन बने नंदलाला। बढे चिर भै अरि मुँह काला ।।
अस नाथ के नाथ कैन्हया। डूबत भंवर बचावत नैया ।।
सुन्दरदास आस उर धारी । दयादृष्टि कीजै बनवारी ।।
नाथ सकल मम कुमति निवारो। क्षमहु बेगि अपराध हमारो ।।
खोलो पट अब दर्शन दीजै। बोलो कृष्ण कन्हैया की जै ।।
।। दोहा ।।
यह चालीसा कृष्ण का, पाठ करै उर धारी ,
अष्ट सिद्धि नवनिधि , फल, लहै पदारथ चारि।।
श्री कृष्ण चालीसा पढ़ने के लाभ : -
- भगवान् श्री कृष्णजी के चालीसा पाठ करने से मनुष्यों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
- जो मनुष्य श्री कृष्ण चालीसा का पाठ तत्परता से करता है उसका चरित्र निर्मल हो जाता है।
- जो मनुष्य श्री कृष्ण चालीसा का नित्य पाठ करता है, उसके आत्मा के सारे दोषों से मुक्ति मिलती है।
- श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने से कलयुग के सारे पापों से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।
- प्रतिदिन श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने से मनुष्य की वाणी में मधुरता आती है।
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