श्री कालीमाता चालीसा एवं उसके लाभ |
श्री काली माताजी की व्युत्पत्ति काल [ समय ] से हुई है। जो सबको अपना ग्रास बना लेता है। माता महाकाली का यह स्वरुप नाश करनेवाला है, परन्तु माता काली केवल उनके लिए है जो दानवीय प्रकृति के है। जिनमे कोई दयाभाव नहीं होता। मातारानी का यह स्वरुप बुराई से अच्छाई को जीत दिलवाने वाला है।
माता महाकाली भगवती पार्वतीजी का काला और भयप्रद रूप है, वे मृत्यु, काल और परिवर्तन की देवी है। माता काली को शक्ति परंपरा की दस महविद्याओं में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि इस इक्कीसवीं सदी के आधुनिक युग में भी माता काली जागृत है। भक्तों को समय -समय पर अपने अस्तित्त्व का बोध कराती है। अतः माँ काली अच्छे मनुष्यों की शुभेच्छु और पूजनीय है।
श्री कालीमाता चालीसा पाठ के नियम : -
- माँ काली की पूजा दो ढंग से की जाती है। एक होती है तंत्र पूजा तथा दूसरी सामान्य पूजा है।
- तंत्र पूजा गुरु के संरक्षण में ही करनी चाहिए आप सामान्य पूजा बिना गुरु के कर सकते है।
- काली माँ की पूजा करने के लिए शुक्रवार का दिन शुभ रहता है।
- शुक्रवार के प्रातःकाल स्नान करके हल्के लाल या गुलाबी वस्त्र धारण करें।
- माँ काली के मंदिर में या घर के पूजाघर में धुप जलाने के बाद गुलाब के फूल माता को चढ़ाये।
- पूजा के समय माँ काली को लाल और काली वस्तुएँ अर्पित करें।
- इसके पश्चात अपनी समस्याओं समाप्त करने की प्रार्थना करें।
- इसके बाद माँ काली का भक्तिपूर्वक पाठ आरंभ करें।
।। श्री काली चालीसा।।
॥ दोहा ॥
जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब,देहु दर्श जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥
जय तारा जय कालिका जय दश विद्या वृन्द,काली चालीसा रचत एक सिद्धि कवि हिन्द ॥
प्रातः काल उठ जो पढ़े दुपहरिया या शाम,दुःख दरिद्रता दूर हों सिद्धि होय सब काम ॥
॥चौपाई ॥
जय काली कंकाल मालिनी,जय मंगला महाकपालिनी ॥
रक्तबीज वधकारिणी माता,सदा भक्तन की सुखदाता ॥
शिरो मालिका भूषित अंगे,जय काली जय मद्य मतंगे ॥
हर हृदयारविन्द सुविलासिनी,जय जगदम्बा सकल दुःख नाशिनी ॥ ४ ॥
ह्रीं काली श्रीं महाकाराली,क्रीं कल्याणी दक्षिणाकाली ॥
जय कलावती जय विद्यावति,जय तारासुन्दरी महामति ॥
देहु सुबुद्धि हरहु सब संकट,होहु भक्त के आगे परगट ॥
जय ॐ कारे जय हुंकारे,महाशक्ति जय अपरम्पारे ॥ ८ ॥
कमला कलियुग दर्प विनाशिनी,सदा भक्तजन की भयनाशिनी ॥
अब जगदम्ब न देर लगावहु,दुख दरिद्रता मोर हटावहु ॥
जयति कराल कालिका माता,कालानल समान घुतिगाता ॥
जयशंकरी सुरेशि सनातनि,कोटि सिद्धि कवि मातु पुरातनी ॥ १२ ॥
कपर्दिनी कलि कल्प विमोचनि,जय विकसित नव नलिन विलोचनी ॥
आनन्दा करणी आनन्द निधाना,देहुमातु मोहि निर्मल ज्ञाना ॥
करूणामृत सागरा कृपामयी,होहु दुष्ट जन पर अब निर्दयी ॥
सकल जीव तोहि परम पियारा,सकल विश्व तोरे आधारा ॥ १६ ॥
प्रलय काल में नर्तन कारिणि,जग जननी सब जग की पालिनी ॥
महोदरी माहेश्वरी माया,हिमगिरि सुता विश्व की छाया ॥
स्वछन्द रद मारद धुनि माही,गर्जत तुम्ही और कोउ नाहि ॥
स्फुरति मणिगणाकार प्रताने,तारागण तू व्योम विताने ॥ २० ॥
श्रीधारे सन्तन हितकारिणी,अग्निपाणि अति दुष्ट विदारिणि ॥
धूम्र विलोचनि प्राण विमोचिनी,शुम्भ निशुम्भ मथनि वर लोचनि ॥
सहस भुजी सरोरूह मालिनी,चामुण्डे मरघट की वासिनी ॥
खप्पर मध्य सुशोणित साजी,मारेहु माँ महिषासुर पाजी ॥ २४ ॥
अम्ब अम्बिका चण्ड चण्डिका,सब एके तुम आदि कालिका ॥
अजा एकरूपा बहुरूपा,अकथ चरित्रा शक्ति अनूपा ॥
कलकत्ता के दक्षिण द्वारे,मूरति तोरि महेशि अपारे ॥
कादम्बरी पानरत श्यामा,जय माँतगी काम के धामा ॥ २८ ॥
कमलासन वासिनी कमलायनि,जय श्यामा जय जय श्यामायनि ॥
मातंगी जय जयति प्रकृति हे,जयति भक्ति उर कुमति सुमति हे ॥
कोटि ब्रह्म शिव विष्णु कामदा,जयति अहिंसा धर्म जन्मदा ॥
जलथल नभ मण्डल में व्यापिनी,सौदामिनी मध्य आलापिनि ॥ ३२ ॥
झननन तच्छु मरिरिन नादिनी,जय सरस्वती वीणा वादिनी ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे,कलित कण्ठ शोभित नरमुण्डा ॥
जय ब्रह्माण्ड सिद्धि कवि माता,कामाख्या और काली माता ॥
हिंगलाज विन्ध्याचल वासिनी,अटठहासिनि अरु अघन नाशिनी ॥ ३६ ॥
कितनी स्तुति करूँ अखण्डे,तू ब्रह्माण्डे शक्तिजित चण्डे ॥
करहु कृपा सब पे जगदम्बा,रहहिं निशंक तोर अवलम्बा ॥
चतुर्भुजी काली तुम श्यामा,रूप तुम्हार महा अभिरामा ॥
खड्ग और खप्पर कर सोहत,सुर नर मुनि सबको मन मोहत ॥ ४० ॥
तुम्हारी कृपा पावे जो कोई,रोग शोक नहिं ताकहँ होई ॥
जो यह पाठ करै चालीसा,तापर कृपा करहिं गौरीशा ॥
॥ दोहा ॥
जय कपालिनी जय शिवा,
जय जय जय जगदम्ब,
सदा भक्तजन केरि दुःख हरहु,
मातु अविलम्ब ॥
श्री काली चालीसा के लाभ : -
अष्टभुजी माँ काली चालीसा का नियमित पाठ भक्ति पूर्वक करने से क्या लाभ मिलते है यह जाने ---
- श्री काली चालीसा के पाठ से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
- श्री काली चालीसा के पाठ से शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है।श्री काली माता शत्रुओं का नाश करती है।
- श्री काली चालीसा के पाठ से माँ काली की भक्ति प्राप्त होती है और माँ की कृपा सदैव बनी रहती है।
- श्री काली माता की कृपा से सारे संकट विपत्तियां दूर होती है।
- जो भक्त सच्चे मन से चालीसा का पाठ करते है उनकी माँ काली सभी प्रकार से रक्षा करती है।
- किसी भी प्रकार के संकट या मुसीबत आने पर श्री काली चालीसा का पाठ करने से वह मुसीबत तुरंत दूर होती है।
- जो भी भक्त श्री काली चालीसा का पाठ सच्चे मन से करते है, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
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