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श्री दुर्गा चालीसा एवं उसका महत्व

                                                                                    
https://meezonsanatan.blogspot.com/2022/08/ sri-durga-chalisa.html
जगत जननी दुर्गा माता


             दुर्गा माता को हर सनातनी पूजता है। माँ दुर्गा आदिशक्ति को सनातियों [हिन्दुओं ] की प्रमुख देवी माना जाता है। माँ दुर्गा को जगदम्बा, पार्वती, शक्ति, भगवती और मातारानी आदि नामों से हम जानते है। माँ दुर्गाजी की तुलना परम ब्रम्ह से की जाती है। 

            माँ दुर्गाजी को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती, योगमाया, बुद्धितत्व की जननी माना गया है। माँ दुर्गा अंधकार एवं अज्ञानता रूपी राक्षसों से रक्षा करनेवाली कल्याणकारी है। वे धर्म पर आघात करनेवाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करती है। 

 श्री दुर्गा माँ का स्वरुप : -        

            माँ दुर्गा सिंह पर सवार होती है। माँ दुर्गा देवी आठ भुजाओं से युक्त है, जिन सभी हाथों में कोई न कोई शत्रास्त्र होते है। माता का दुर्गा देवी नाम दुर्गम नामक महान दैत्य का वध करने के कारण पड़ा है। माता ने कई रूप लिए और राक्षसों का विनाश किया। इन्होने महिषासुर नामक असुर का वध किया है। इसलिए माँ दुर्गाजी को महिषासुर मर्दिनि के नाम से विख्यात हो गयी। 

             श्री दुर्गा माँ  की उत्पत्ति धर्म की रक्षा और संसार से अन्धकार मिटाने के लिए हुई है। माँ दुर्गाजी की पूजा चालीसा के बिना अधूरी मानी जाती है। 

             शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि या फिर किसी भी शुभ अवसर पर माँ दुर्गा का चालीसा पाठ करना उत्तम माना गया है। नवरात्रि में दुर्गा चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं से मुक्ति एवं इच्छापूर्ति सहित अनेक मनोकामनाएं पूर्ण होती है। 

                                   श्री दुर्गा चालीसा   

 

नमो नमो दुर्गे सुख करनी । नमो नमो अम्बे दुःख हरनी 

निराकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूँ लोक फैली उजियारी 

   शशि ललाट मुख महाविशाला । नेत्र लाल भृकुटि विकराला 

      रूप मातु को अधिक सुहावे । दरश करत जन अति सुख पावे

तुम संसार शक्ति लय कीना । पालन हेतु अन्न धन दीना

अन्नपूर्णा हुई जग पाला । तुम ही आदि सुन्दरी बाला

प्रलयकाल सब नाशन हारी । तुम गौरी शिवशंकर प्यारी 

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें । ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें   

    रूप सरस्वती को तुम धारा । दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा

 धरा रूप नरसिंह को अम्बा । प्रगट भईं फाड़कर खम्बा

रक्षा कर प्रह्लाद बचायो । हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो 

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं । श्री नारायण अंग समाहीं  

क्षीरसिन्धु में करत विलासा । दयासिन्धु दीजै मन आसा  

   हिंगलाज में तुम्हीं भवानी । महिमा अमित न जात बखानी  

मातंगी अरु धूमावति माता । भुवनेश्वरी बगला सुख दाता 

   श्री भैरव तारा जग तारिणी । छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी  

केहरि वाहन सोह भवानी । लांगुर वीर चलत अगवानी  

 कर में खप्पर-खड्ग विराजै । जाको देख काल डर भाजे   ॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला । जाते उठत शत्रु हिय शूला  

नगर कोटि में तुम्हीं विराजत । तिहुंलोक में डंका बाजत  

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे । रक्तबीज शंखन संहारे  

      महिषासुर नृप अति अभिमानी । जेहि अघ भार मही अकुलानी

रूप कराल कालिका धारा । सेन सहित तुम तिहि संहारा   ॥

   परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब । भई सहाय मातु तुम तब तब 

 अमरपुरी अरु बासव लोका । तब महिमा सब रहें अशोका 

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी । तुम्हें सदा पूजें नर-नारी 

प्रेम भक्ति से जो यश गावै । दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें  

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई । जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई   

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी । योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी  

शंकर आचारज तप कीनो । काम अरु क्रोध जीति सब लीनो   

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को । काहु काल नहिं सुमिरो तुमको

शक्ति रूप को मरम न पायो । शक्ति गई तब मन पछितायो   

शरणागत हुई कीर्ति बखानी । जय जय जय जगदम्ब भवानी  

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा । दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा     ॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो । तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो     

आशा तृष्णा निपट सतावे । मोह मदादिक सब विनशावै      

शत्रु नाश कीजै महारानी । सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी      

करो कृपा हे मातु दयाला । ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला    

जब लगि जियउं दया फल पाऊं । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं   ॥    

दुर्गा चालीसा जो नित गावै । सब सुख भोग परमपद पावै    

देवीदास शरण निज जानी । करहु कृपा जगदम्ब भवानी      ॥

 श्री दुर्गा चालीसा पाठ के लाभ : --

  •  दुर्गा चालीसा का पाठ नवरात्रि या अन्य शुभ दिन करने से आध्यात्मिक, भौतिक और भावनात्मक ख़ुशी की प्राप्ति होती है। 
  • प्रतिदिन पाठ करने से मन शांत हो जाता है। 
  • आप अपने शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बनाय रखने में मदत मिलती है। 
  • दुश्मनो से निपटने और उन्हें हराने की क्षमता विकसित होती है। 
  • अपने परिवार को वित्तीय नुकसान, संकट और कई दुखों से रक्षा होती है। 
  • खराब सामजिक स्थिति सुधरने में मदद मिलती है। 
                                           

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